आज नया सवेरा देखा
आज नया सवेरा देखा ,
उगता सूरज, बनता समां देखा,
उगती कलियाँ देखीं
चहचहाती चिड़िया देखीं |
इतने दिन सोते रहे ,
अँधेरे में ही जीते रहे ,
आज उजाला स्वर्णिम देखा,
अरुण का रंग सिंदूरी देखा |
आज तक कचरे वाली गलियां
देखीं,
उठती धुंध
और धुंआ देखा ,
पर आज गलियाँ साफ़ देखीं,
और हवायों को स्वच्छ देखा |
रात भर किन किन जीवों की
आवाजें सुनी ,
निर्मम , चुभती और बेसुरी सुनी ,
आज कोयल की मीठी आवाज़ सुनी
,
आवाज़ सुरीली और नर्म सुनी |
कल तक हमने कड़कती भयानक
बीजली देखी,
रातों का दुर्दांत कोलाहल
देखा ,
आज ममतामयी सुबह में सुकून
वाली वर्षा देखी ,
सुबहों का लहराता आंचल देखा
|
कचरे बिनने वाली अम्मा देखी
,
स्कूल जाते बच्चे देखे ,
बनती जलेबी गर्म देखी ,
झुण्ड में जाते पक्षी देखे
|
आज सुबह सुहानी देखी,
एक कहानी पुरानी देखी,
आज नया अहसास हुआ,
ओस को जब मैंने छुआ |
अरसे बाद ऐसी सुबह आयी,
बचपन की यादें संग लायी ,
रोटी में लिपटी वो शक्कर
मलाई,
माँ ने जो खेलने जाने से
पहले खिलाई|
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