माँ
ज़िन्दगी ही नहीं , स्रोत
जीवन का हो तुम
ममता की मूरत हो , करुणा का
पर्याय हो तुम|
दर्द तुमने मेरे लिए बार
बार सहा
ख़ुशी रहे चेहरे में मेरी
इसका तुम्हे ख्याल रहा |
मेरे पहले गिरे आंसू से
लेकर आज तक जितने आंसू बहे
उन सब आसुओं
को पोछता तेरा हाथ रहा |
एक महीने आश्रय इस युग में
कोई देता नहीं
नौ महीने माँ तूने अपने
शरीर में पालन मेरा किया |
मेरी हर लगी चोट में पड़े थे
थप्पड़ गालो में मेरे
पर जानता हूँ मलहम ढूढ़ते बहे
थे निरंतर आंसू तेरे |
गलतियों में भी मेरी, तेरी ममता ने मुझे सराहा ,
भटकते कदमो को मेरे,
उंगलियों ने तेरे दिया सहारा |
यूँ तो दूरी नहीं कभी तुझसे
महसूस किया हूँ ,
पर एहसास में अकेलेपन के याद तुझे किया हूँ |
रास्ते अगर लायें रुकावटों के निशाँ ,
हर रुकावट में माँ तेरा नाम
लिया हूँ |
बचपन में थक हार कर नसीब
गोद था तेरा,
आज थका परिस्थियों से ताकता
आँचल तेरा |
हर पर्व में माँ तुझे
दूरी मुझसे सताती होगी ,
त्यौहार में जब गुझिया
बनाते रोयी जाती होगी |
क़र्ज़ तेरा मुझपर बहुत बड़ा
है ,
इस क़र्ज़ से कभी निवृत्त न हो पाऊंगा,
तेरी अमूल्य ममता का
क्या मोल लगाऊंगा,
बस जब भी पास आऊंगा खुशियाँ
छोड़ जाऊँगा |
---------------------------------------------------
--------प्रणय