प्रणय

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Friday, 10 June 2016


“कहाँ गयी वो यादें पुरानी .....”

कहाँ गयी वो यादें पुरानी,
वो पावन सी खुशियाँ , गलियाँ सुहानी |
दोस्तों की दोस्ती वो प्यारी सी मस्ती ,
टूटा सा घरौंदा , वो मस्ती थी सस्ती ,
वो पवित्र बंधन , वो लाल कंगन ,
वो पावन सा दरिया, वो गहरा चन्दन ,
आँखों में काजल और बालों में गजरा ,
चला कहाँ गया वो बचपन गुजरा |

वो गलियां सुहानी , वो अमिट कहानी ,
मेरा ननिहाल , वो प्यारी सी नानी ,
वो डांट, वो मार , वो प्यारी गालियाँ,
कहाँ गयी वो मेरी मस्ती की तालियाँ ,
वो मौसम मनभावन, वो बदरी सुहानी ,
वो पानी की बौछार, परियों की कहानी,
वो छोटा बाज़ार , वो सब्जी का ठेला ,
वो जिद्द में रोना , वो चमचमाता मेला |

वो पापा की डांट , माँ का फुसलाना ,
वो दुःख का जाना , खुशियों का आना,
वो बचपन का प्यार, वो दुलराना ,
वो खेल हारकर , माँ को बतलाना ,
वो मामा का प्यार , मामी का दुलार ,
वो सारे हमजोली और मेरे यार,
वो तुतलाना और वह घबराना,
वो पढना और वो लिखना |

वोह छोटी सी कविता, वो गलती ,
धूल आँखों में जाना, आँखें थी जलती ,
कहाँ गयी वो मनभावन यादें पुरानी ,
वो पावन सी खुशियाँ, गलियाँ सुहानी |
=============================== -----------प्रणय