चौखट बन्द पड़ी थी
कभी ठण्ड में , माँ जहाँ
बैठकर गर्म कपडे बुनती थी ,
जगह वो आज सूनी थी , और
चौखट बंद पड़ी थी |
इच्छा बहुत थी छत में जाकर
बैठने की पुरानी यादें सहेजने की ,
पर सीढ़ियों पर अनचाहे पेड़
उगे थे और चौखट बंद पड़ी थी|
दो कमरों का वह मकान .चहलकदमी जहाँ मैंने करी थी ,
लालसा थी कमरों को देखने की
, पर चौखट बंद पड़ी थी |
उस घर के पीछे से जाता वो
खेत का रास्ता ,
दौड़ जाना चाहता था वहां को
मै पर चौखट बंद पड़ी थी|
किताबें और कहानियाँ जहाँ
बैठकर मैंने पढ़ी थी .
अहसास वह फिर करना था मुझको
पर चौखट बंद पड़ी थी |
छज्जे पर बैठकर देखे थे कई
द्शहरों के मेले मैंने ,
सोचा वहीँ बैठकर गलियाँ
निहारूं पर चौखट बंद पड़ी थी |
जहाँ मेरे प्रभु श्री राम
की मूर्ति खडी थी ,
शीष वहां झुकाना चाहता था
पर चौखट बंद पड़ी थी |
जहाँ पर खटिया बाबा की मेरे
रखी थी ,
आराम की चाह थी मुझको पर
चौखट बंद पड़ी थी |
आँगन पर सिलबट्टा था जहाँ
धनिया मिर्च पीसी जाती थी ,
वही बैठना था सुकून से
मुझको पर चौखट बंद पड़ी थी |
गलियारा वह , जहाँ मेरी
बदमाशियों पर मेरी माँ हँसी थी ,
फिरसे देखना था मुझे वो
हस्ता चेहरा पर चौखट बंद पड़ी थी |
-----प्रणय
-----प्रणय