अहसास
पहले क्षण का अहसास :---
उथल-पुथल मेरा मन ,
उफान मारते अरमां हैं ,
चंचल बालक से भी चंचल ,
मेरे मन का अंचल है |
हिम्मत पहाड़ो को चीर देने की ,
ताकत ऐरावत से लड़ने की ,
काटें भरे रास्तों में फूलों का आविर्भाव हो ,
ऐसा आशातीत है मेरा मन |
दुसरे क्षण का अहसास :---
प्रतीत हुआ ऐसा जैसे उजड़े वन में विहार करता
,
चला
जा रहा हूँ बिना कारण अन्धकार में ,
न हिम्मत, न आशाएं, दूर तक विश्वास नहीं ,
निराश्वान, छिन्न – भिन्न , उजड़ा हूँ |
मन में अरमां नहीं, न खुशियों के हिलोरे हैं ,
चंचल मन की चंचलता शायद कोई स्वप्न था ,
हिम्मत दबी कमज़ोर खंडहर रूपी मन में ,
तो आशाएं घिरी काले बादलों में कहीं |
तीसरे क्षण का एहसास :-----
अनुभव हुआ दुःख - सुख दो पहलु हैं ,
महल खंडहरों में बदल जाते हैं ,
आशाएं , निराशाओं तले कहीं दब जाती हैं ,
पर खुशियाँ , किलकारी , सफलताएं फिर आती हैं |
तो आशातीत हो तेरा मन ,
उफान मारते अरमां हों ,
हिम्मत पहाड़ों को चीरने की ,
दहाड़ता तेरा
अंतर्मन हो |
------ प्रणय