समय
बस हवा की तरह कुछ पल यूँ
ही गुजर जातें हैं ,
पर यादें कुछ ऐसी छोड़ जाते
हैं ,
पत्थर सी लकीर हो जैसे ,
ऐसे रिश्ते बन जाते हैं ,
कभी ये पल ज़िन्दगी के कैसे
बंधन में बंध जाते हैं ,
तो आज़ाद कभी ये जंजीरों की
जकड से हो जाते हैं |
कभी हँसी के फव्वारे थे ,
कभी झगड़ो के ताने थे ,
कभी ख़ुशी चेहरे पर जीत की,
तो कभी सिकन माथे पर हार की
,
कभी प्यार से बात करते थे ,
तो कभी गालियों का सहारा
लेते थे ,
मै, तुम और हम सब लडें हैं
बहुत झगडे हैं बहुत ,
पर फिर भी मौकों में साथ
खड़े थे बहुत |
आज भी कुछ किस्से हैं सफ़र
के जो अधूरे रह जायेंगे ,
जब कुछ मुसाफ़िर कारवां का
साथ छोड़ जायेंगे ,
कुछ पल ऐसे होंगे जो बहुत
याद आयेंगे ,
कुछ बुरी यादों के पल भी
सतायेंगे ,
कुछ बातें होंगी जो तुम्हे
सह्लायेंगी ,
कुछ कडवी बातें कभी कभी चुभ
जायेंगी |
कभी कोई ख़ुशबू किसी बीते पल
की याद दिलाएगी,
तो कभी घिरी बदरी किसी बीते
सावन को जीवंत कर जायेगी,
कभी लोगों क जमावड़े
तुम्हारे अड्डों की याद जगायेंगे ,
हसी किलकारी कुछ दोस्तों की
तुम्हारे यारों का स्मरण कराएगी ,
पुराने रिश्ते कुछ होंगे जो
बेवजह मुस्कान ले आयेंगे ,
तभी बीते लम्हे कुछ पल को
वापस आएंगे |
कभी कोसोगे तुम समय को , की
क्यूँ तुम बीत गये ,
कभी डांटोगे खुद को क्यूँ
यूँ बदल गये ,
समय भी तुम्हे देखकर बस
मुस्का देगा ,
कुछ पल यादों की देकर वह
तुम्हे आगे बढ़ा देगा |
तब तुम सोचना दरिया किनारे
कहीं बैठकर –
समय कैसे बीत जाता है ,
बीतता ऐसा की दोबारा न खुद
को दोहराता है ,
यादें ही हैं जो शेष बच जाती
हैं ,
समय समय पर जिसकी लहर दौड़
जाती है ,
तब एक दम सन्नाटा सा छा
जाएगा ,
झींगुर का झंकार तब कानो पर
पड़ जाएगा ,
तुम तब खुद को कई आवाजों से
घिरा अकेले पाओगे ,
उन आवाजों को सुन तभी तुम
आगे बढ़ जाओगे ,
जब भी बीते समय को तुम
गुनगुनाओगे ,
सुख दुःख के गीतों में यूँ
ही खो जाओगे |
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