तू कहीं से भी लेजा कहीं से भी मुझे जाना पड़े
ऐसे सितम न कर की मेरे यार को मुझसे दूर जाना पड़े
तू शाख काट ले पर थोड़ा सोचना
कहीं इन परिंदो को दूर न जाना पड़े
मुझे तेरी महफ़िल में शरीक होना गवारा है
पर ऐसी गुस्ताखी न करना कि वहां से जाना पड़े
कुछ ही पल मयस्सर हैं दिल्लगी को हमारे
कल कहीं इस मुसाफिर को दूर न जाना पड़े
आज देखने दे जिस्म के इन नज़ारों को
कल कहीं नज़ारों से रुखसत हो जाना न पड़े
तुम्हे जाना है तो जाओ मेरी मिलकियत से
फिर कहीं कल तुम्हे पछताना न पड़े
नाम मेरा आज बदनाम है इन गलियारों में
कल कहीं इन गलियारों को शर्माना न पड़े
आज नज़रअंदाज किया गया पर मंज़ूर है
कल कहीं मेरे दरबार में तुम्हे गिड़गिड़ाना न पड़े
ऐसे सितम न कर की मेरे यार को मुझसे दूर जाना पड़े
तू शाख काट ले पर थोड़ा सोचना
कहीं इन परिंदो को दूर न जाना पड़े
मुझे तेरी महफ़िल में शरीक होना गवारा है
पर ऐसी गुस्ताखी न करना कि वहां से जाना पड़े
कुछ ही पल मयस्सर हैं दिल्लगी को हमारे
कल कहीं इस मुसाफिर को दूर न जाना पड़े
आज देखने दे जिस्म के इन नज़ारों को
कल कहीं नज़ारों से रुखसत हो जाना न पड़े
तुम्हे जाना है तो जाओ मेरी मिलकियत से
फिर कहीं कल तुम्हे पछताना न पड़े
नाम मेरा आज बदनाम है इन गलियारों में
कल कहीं इन गलियारों को शर्माना न पड़े
आज नज़रअंदाज किया गया पर मंज़ूर है
कल कहीं मेरे दरबार में तुम्हे गिड़गिड़ाना न पड़े