प्रणय

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Sunday, 28 August 2016

                                      

                                      मृत्यु
अभिशाप नहीं वरदान है ,
कष्ट नहीं मुक्तिधाम है ,
बंधन नहीं आजादी है ,
आबादी है ये नहीं बर्बादी है |

झूठे हैं वो कहते जो मृत्यु विकराल है ,
ये आती तो आता आकाल  है ,
सतह की छाँव नहीं गहरा पाताल है ,
ये सुर नहीं बेसुरा बजता ताल है |

मृत्यु मुक्ति इस जगत से,
मृत्यु मुक्ति इस जलन से,
मृत्यु मुक्ति ओहापोह से,
मृत्यु मुक्ति धर्म-कर्म से |

मंझधार में जीवन हमेशा,
मृत्यु तो किनारा है ,
सुख ढूढते रहे हमेशा ,
मृत्यु तो स्वयं सुख है|


जिसकी अराधना की जीवन भर,
उसका ही तो  यह   बुलावा है ,
मृत्यु ही परमसत  है ,
न रचा किसी का छलावा है |

तुम डरते क्यूँ हो उससे,
गले जिसको लगाना है ,
क्यों बचते तुम हो उससे,
विलीन जिसमे हो जाना है|

मृत्यु सत्य , मृत्यु विराम ,
जीवन असत्य, दुःख अविराम,
मृत्यु खुशहाली, मृत्यु बहाली ,
जीवन बंधन, मचलती बेहाली |

चलो आरती मृत्यु की गायें ,
ताकि मृत्यु सुगम ही आये ,
कितने पत्थरों में फूल हमने चढ़ाये,
चलो आज मृत्यु मंदिर बनाएं  |

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