प्रणय

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Monday, 22 August 2016



                                                         आँखें वो रोती हैं
यादें बहुत गहरी होंगी , शायद चुभती होंगी ,
या फिर मलाल होगा कुछ , तभी आँखें वो रोती  हैं ।

रिश्ता शायद  वो अनकहा था , या फिर अधूरा था,
पूरा न हो पाया था या फिर होकर टूटा था , तभी आंखें वो रोती  हैं ।

 कुछ सपने थे, खुली आँखों से देखे होंगे , पुरे न हो पाए होंगे ,
या फिर किसी की ख़ुशी की खातिर खुद तोड़े होंगे , तभी आँखें वो रोती हैं ।

परिवार था  शायद वो भरा पूरा , हस्ते खेलते लोग होंगे ,
छूट पीछे गया होगा सब, या हुई होगी कोई घटना , तभी आँखें वो रोती हैं ।

बच्चे होंगे प्यारे से , गोद में अठखेलियां करते होंगे,
शायद रिश्ते टूटे होंगे ,तभी आँखें वो रोती  हैं ।

कुछ उम्मीदें होंगी और देखे कुछ सपने होंगे ,
एकाएक टूटे होंगे या परिस्थितियों ने तोड़े होंगे , तभी आंखें वो रोती  हैं ।

आज हड्डियां बूढी हैं, कभी जवां रही होंगी ,
आज निराशा  घेरे है, कभी आशावान रही होगी , तभी आँखें वो रोती हैं।

पहले बहुत बोलती थी , हंसी मजाक करती थी ,
आज वह रूह कांपती सी है,चाहकर भी न हँसती  है ,तभी आँखें वो  रोती हैं ।








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