कल्पित चेहरा
तसव्वुर में मैंने एक चेहरा
बनाया,
रब सा नहीं उससे कहीं अच्छा
बनाया,
जैसे परियों की कहानी में
प्यारी सी रानी,
उसे ऐसा मैंने सपनो में
सजाया ,
रोज़ वो मिलती है अपनी बातें
कहती,
प्यार के बोल के अलावा एक
बोल न बोलती,
गुलाब सी महक है बदन में
उसके ,
कोयल के मीठे स्वर से बोल
उसके ,
होंठ जैसे
गुलाब के फूल हैं ,
आँखों में जैसे कोई कहानी
है ,
बालों में जैसे पतवन सा
समां ,
अंगड़ाईयों में बीती बातें
पुरानी हैं,
चाल में उसके लहरों सा बहाव है ,
बातों में गहरे उतार व चढ़ाव
है ,
बैठने में उसके किसी मूरत
सा अदब है,
कहानी उसकी परियों का कथन
हैं ,
झपकती आंखें दास्तां का एक पड़ाव है,
निहारना मुझे उसका जैसे कोई
इतिल्ला है,
बाहों में आना भी उसकी एक
कला है ,
रश्मि सी चमक खुलती आँखों
में है ,
कुछ तो बात गज़ब उसकी
निगाहों में है,
कल्पना है बस यही एक खलती
बात है ,
असलियत नहीं बस परियों की
एक जमात है|
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