लोग मिले खूब मिले बखूब मिले
तुम जैसे मिलें तो हर राह मिले हर रोज़ मिले
दौर-ए-दुश्मनी हो गई बहुत चलो गले मिलें
कल परसो नही आज ही और इसी वक़्त मिले
कलन्दरी देखने नही मिली जो इधर देखी
ऐसी बादशाहों की बस्ती में जाने को रोज़ मिले
आँखों के जादू को बयां क्या करूँ कैसे करूँ
बस इन पलकों की पालकी में बैठने को रोज़ मिले
कैसे कैसे वक़्त से गुजरा हूँ ऊबड़ खाबड़
मोहब्बत के कुछ पल भला मुझे रोज़ मिले
दर दर भटक लिया है बहुत रो लिया है बहुत
दरिया किनारे की ठंडक और यह आवाज़ मुझे रोज़ मिले
हाल चाल पूछ लिए लोगों ने बहुत वो भी बार बार
अब झूठे सवालों से दूर माँ का मुझे प्यार मिले
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